ईश्वर से पुकार

 क्या बताऊ आपको
इन दीन - दुखियो कि कहानी

कोई नहीं सुनता इनकी छोटी
सी पुकार को

क्या हो गया इन ईश्वर कि
परछाइयों को

जिन्हे बनाया तूने मेरे लिए
 वो भी खो गए इस मायाजाल मे

नहीं सुनाई देती इनको भी
दीन - दुखियो कि पुकार

नेता हो , व्यापारी हो
चाहे हो कोई अधिकारी

नहीं सुनाई देती इनको भी
दीन - दुखियो कि पुकार

बच्चे , बूढ़ो एवं युवाओ
को भी नहीं सुनाई देती
इनकी छोटी सी पुकार

इस संसार के बड़े - बड़े
रईसों को भी नहीं सुनाई
देती  इनकी छोटी सी पुकार

घर - घर जाकर मांगे भीख
नहीं देते इनको कोई भीख

क्या हमारी युवा पीढ़ी
इतनी निर्धन हो गयी है

जो किसी भूखे  भिक्षुक
को पेट भर भिक्षा  ना दे सके

कहाँ है ? हमारी संस्कृति
जो किसी अतिथि या

किसी भिक्षुक के आने
पर उन्हें कभी निराश
नहीं करते थे

इस विलुप्तमय संसार में
विलुप्त हो गयी संस्कृति
विलुप्त हो गयी मनुष्यता

सब प्राणी - जगत का
पालन करने वाली धरा

को भी नहीं सुनाई देती
इन दीन - दुखियो की पुकार

क्या है कोई निःस्वार्थ  प्राणी
जन्मा है कोई फरिश्ता

जो सुने हमारी छोटी सी
आरज़ू भरी पुकार को

जिसने बनाया मुझे
जिसने रचा यह संसार

लगता अब ऐसा रूठ
गया वो भी मुझसे

नहीं सुनता वो भी मेरी
छोटी सी पुकार !!


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