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सब कर सकते हैं.

हम चाहे तो क्या नहीं बन सकते हम चाहे तो क्या नहीं पा सकते हम चाहे तो क्या नहीं दे सकते एक इंसान ही है जो हर असंभव को संभव कर सकता हैं एक इंसान ही हैं जो मुश्किल घड़ी मे हमारा साथ देता हैं तो फिर  ये इंसानों सब मनुष्य ही करता हैं तो फिर हार क्यों मान जाते हो , क्यों?  सार्वभौमिक सत्य - हर इंसान विशेष हैं उसमे कुछ विशेष अवश्य हैं बस आपको ढूढना है उस महान कार्य को जो आप कर सकते हैं लेकिन संसार मे कोई नहीं कर सकता..                                                       !!*भाई साहब*!!

मासूम बच्चे !

क्या लिखूँ, क्या बताऊ, कुछ समझ नहीं आता जब नजरें जाती उन मासूम बच्चों पर जो पढ़ना तो चाहते हैं पर पढ़ नहीं पाते इन ज़ालिम पैसो कि वजह से.. जब देखता हु उनको सुनसान सड़को पर हाथ मे कटोरा भीख मांगते हुये, मानो कतरा - कतरा हो जाता हु.. उनमे हैं वो सारे गुण जो होते हैं एक विधार्थी मे , बस दोष हैं तो उन पैसो का.. क्या समा जाएगी इनकी प्रतिभा इन ज़ालिम पैसो कि वजह से क्या इन पैसो के नीचे इनकी प्रतिभा मायने नहीं रखती .. सड़को पर भटकते हुये मांगे वो दो पैसे तो मना ना करना ये इंसानों. किसी पता वो पेन कि रिफिल के लिये मांग रहा हो या फिर पुस्तक के लिये  या फिर प्राकृतिक क्षुधा को मिटाने के लिये मांग रहा हो. . तंबाकू, बीड़ी, मादक पदार्थ  या जिओ (sim) का सेवन करने वाले को क्या फर्क पड़ता दो पैसो का. देवी और सज्जनों जिस प्रकार आप अपने बच्चों के लिये बड़े - बड़े सपने देखते हैं कि हमारा बेटा / बेटी  बड़े होकर अफसर बनेंगे लेकिन इनके लिये सपने देखने बाला कोई नहीं हैं वो अनाथ है,  दीन है  . जब मे इन मासूम बच्चों को सड़को पर भीख मांगते हुये देखता हु तो मानो कतरा - कतरा हो जाता हु टूट
मुझे सपने देखना और उन्हें हकीकत करना मेरी आदत हैं असंभव को संभव करना मेरा शौक हैं दूसरों की मदद करना मेरी दिनचर्या हैं दूसरों कि फीलिंग को समझना मेरा फ़र्ज अपनों के लिए जीना मेरा कर्त्तव्य हैं

लालच !

एक आलसी मनुष्य के पास सब कुछ होते हुये भी अपना पेट नहीं भर पाता .  क्यों ? क्योकि आलसी के पास था सब कुछ लेकिन बनाने में आलसी था .. इसलिए वह भूखा रह जाता हैं .. इसी प्रकार धनवान  लालची मनुष्य के पास सब कुछ होते हुये भी ज्यादा पाने की चाह में , खाली हाथ ही रहता हैं ..                                 !! *भाई साहब* !!