मोहब्बत वह शब्द है जिसका कोई गणना नही कर सकता यह एक शब्द ही नहीं है इसका वर्णन करने बैठेंगे न तो सुबह से शाम हो जायेगा लेकिन इसका वर्णन नहीं कर पाएंगे ऐसी ही एक दोस्त की कहानी है । वह एक लड़की से प्रेम करता था वह लड़की भी उससे प्रेम करती थी दोनो एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे लेकिन एक दिन क्या हुआ दोनो का किसी बात से झगड़ा हो जाता हैं तो लड़का नाराज हो जाता है सिर्फ उसे गलती का एहसास दिलाने के लिए दो दिन तक दोनो की बात नही होती है फिर लड़की बोलती ऐसे कब तक चलेगा तो लड़का बोला बाबू में नाराज नहीं ही बस तुम्हे तुम्हारी गलती का अहसास दिला रहा था तुम छोटी सी बात से नाराज हो गई थी की में कुछ बोल नहीं रहा हु काम के बिजी हूं अब इतना तो समझोगी न की काम में बिजी हूं तो आप ही बोलो लेकिन आप नाराज हो गए । लड़का बोला छोड़ो ये सब में तुम्हारे लिए बहुत सारी सब्जी तुम्हारे पसंद की लाया हु तुम आ जाओ उन दोनो का ऑफ था लड़की बोली आज नही कल आएंगी तो में बोला ठीक है कल लॉन्च के टाइम तक आ जाना लेकिन वो नहीं आई थोड़ा सा लेट हो गई लड़का गुस्सा हो गया की तुम जब बोलता ही जब नही आती में कितने मन से तुम्हे बु
इंसान किसी विशिष्ट लोगो कि बातो पर ही विचार क्यों करते हैं ? क्या कभी आम आदमी एक असहाय निर्धन लोगो कि बात पर गौर किया हैं .. एक बार दोस्तों जो आनंद इनमे हैं वो उनमें नहीं बस एक बार गौर करके तो देखिये जो विचार उत्पन्न होंगे वो आपको मोटीवेट तो करेंगे ही साथ में सफलता के लिये एक जरिया भी दे देंगे विश्वास करके तो देखो एक बार गौर करके तो देखो .. !!*भाई साहब*!!
क्या लिखूँ, क्या बताऊ, कुछ समझ नहीं आता जब नजरें जाती उन मासूम बच्चों पर जो पढ़ना तो चाहते हैं पर पढ़ नहीं पाते इन ज़ालिम पैसो कि वजह से.. जब देखता हु उनको सुनसान सड़को पर हाथ मे कटोरा भीख मांगते हुये, मानो कतरा - कतरा हो जाता हु.. उनमे हैं वो सारे गुण जो होते हैं एक विधार्थी मे , बस दोष हैं तो उन पैसो का.. क्या समा जाएगी इनकी प्रतिभा इन ज़ालिम पैसो कि वजह से क्या इन पैसो के नीचे इनकी प्रतिभा मायने नहीं रखती .. सड़को पर भटकते हुये मांगे वो दो पैसे तो मना ना करना ये इंसानों. किसी पता वो पेन कि रिफिल के लिये मांग रहा हो या फिर पुस्तक के लिये या फिर प्राकृतिक क्षुधा को मिटाने के लिये मांग रहा हो. . तंबाकू, बीड़ी, मादक पदार्थ या जिओ (sim) का सेवन करने वाले को क्या फर्क पड़ता दो पैसो का. देवी और सज्जनों जिस प्रकार आप अपने बच्चों के लिये बड़े - बड़े सपने देखते हैं कि हमारा बेटा / बेटी बड़े होकर अफसर बनेंगे लेकिन इनके लिये सपने देखने बाला कोई नहीं हैं वो अनाथ है, दीन है . जब मे इन मासूम बच्चों को सड़को पर भीख मांगते हुये देखता हु तो मानो कतरा - कतरा हो जाता हु टूट
Bahut badiya bhai
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!
हटाएंNice thought socialist
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!
हटाएंHa
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!
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